भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की गाथा के गवाह हैं भारत के बाँध

Mar 04 2023

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की गाथा के गवाह हैं भारत के बाँध
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान का 173 वां स्थापना दिवस मनाया

India Emotions, लखनऊ। अलीगंज स्थित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान के कार्यालय में शुक्रवार को अपना 173वां स्थापना दिवस समारोह मना रहा है। स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण परिसर के वी. के. एस. वरदन प्रेक्षागृह में किया गया।

नरेन्द्र विठोबा नितनवरे, अपर महानिदेशक एवं विभागाध्यक्ष, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, उत्तरी क्षेत्र लखनऊ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। डा. वन्दना प्रसाद, निदेशक बीरबल साहनी पुराभूविज्ञान संस्थान कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रूप में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का शुभारम्भ भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के संस्थापक सर थामस ओल्डहम तथा स्वतन्त्रता के बाद भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के प्रथम निदेशक एम एस. कृष्णन के चित्र पर गणमान्य अतिथियों द्वारा माल्यार्पण कर किया गया। इस अवसर पर भूविरासत एवं भूपर्यटन पर पुस्तिका का भी विमोचन किया गया।

नरेंद्र विठोबा नितनवरे, अपर महानिदेशक एवं विभागाध्यक्ष, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, उत्तरी क्षेत्र लखनऊ ने अपने संबोधन में बताया कि 4 मार्च 1851 को इस विभाग की स्थापना भारत में कोयला की खोज प्रारम्भ हुई थी। समय पर्यंत यह विभाग भूविज्ञान के सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय अनुसंधान कर रहा है । भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के वैज्ञानिक खनिज अन्वेषण, भूकंपीय अध्ययन, ध्रुवीय अध्ययन, भूस्खलन, प्राकृतिक आपदा, पर्यावरणीय अध्ययन में अग्रसर हैं।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण भूस्खलन हेतु भारत की नोडल एजेंसी है । भारत की समस्त जलविद्युत परियोजनाओं के स्थापना में यहाँ के भूवैज्ञानिको ने अथक मेहनत किया है। भाखड़ा नांगल बाँध, टिहरी बाँध, नाथपा झाकड़ी बाँध सहित भारत के अन्य बाँध भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की गाथा के गवाह हैं। हमारा जोर भारत को दुनिया के खनिज मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाने का हैं। इसके लिए भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण खनिज अन्वेषण के कई अनुसंधान परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है। नरेन्द्र विठोबा नितनवरे ने उपस्थित सेवानिवृत्त भूवैज्ञानिको का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आप लोगों द्वारा रखे नींव पर आज के भूवैज्ञानिक बुलंद इमारत खड़ी कर रहे है।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डा. वन्दना प्रसाद निदेशक बीरबल साहनी पुराभूविज्ञान संस्थान ने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण को भूविज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने वाला विभाग बताया। उन्होंने बताया कि विश्व पटल पर भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की एक विशेष पहचान है। भूविज्ञान के क्षेत्र में कार्य कर रहे देश के किसी भी संस्थान के वैज्ञानिक भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के ही प्रकाशनों का अध्ययन करके आगे बढ़ते रहे हैं। बीरबल साहनी पुराभूविज्ञान संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के साथ मिलकर अनुसंधान करने का इच्छुक है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक एसपी सिंह ने बताया कि नरेन्द्र विठोबा नितनवरे, अपरमहानिदेशक एवं विभागाध्यक्ष, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, उत्तरी क्षेत्र लखनऊ ने स्थापना दिवस के अवसर पर शोध पत्र प्रकाशित करने वाले भूवैज्ञानिकों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। खेलकूद, प्रशासन तथा प्रदर्शनियों में भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का मान बढ़ाने वाले अधिकारियों तथा कर्मचारियों को भी विभागाध्यक्ष ने प्रशस्ति पत्र प्रदान किया।

इस अवसर पर ड्रिलिंग, रसायन तथा भूभौतिकी उपकरणों एवं अध्ययन तरीकों पर प्रदर्शनी लगाई गयी थी जिसमें आमजन तथा कालेज के विद्यार्थियों ने काफी रूचि प्रदर्शित की। वहीं " भूकंप - कब, कहाँ, कैसे विषय पर डा. डी. डी. जोशी, निदेशक (सेवानिवृत्त) ने मोहक व्याख्यान दिया। उत्कर्ष त्रिपाठी, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक ने सोनभद्र जनपद में स्वर्ण खनिज पर वैज्ञानिक व्याख्यान प्रस्तुत किया।